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परम पूज्य डा. लाल साहब का ता. 21/2/1979 को प्रातः साढ़े 6 बजे मुरार में प्रवचन
बचन नं 3
अगर सहयोग हो, संगठन हो तो सफ़लता अवश्य होगी । तो सहयोग , संगठन और सफलता ये तीन शब्द जो हैं - को आप याद रखें ।
इस सिलसिले में एक चीज़ और मैं अर्ज कर दूँ कि यह एक अनुपम सेवा का मौक़ा मालिक ने सतसंगियों को बख्शा है । सेवा बहुत दुर्लभ है । सेवा का मौक़ा बड़े भाग्य से मिलता है । इसको हाथ से जाने नहीं देना चाहिए । आप जानते हो परमार्थ में सरन और दीनता दो चीजें बहुत ज़रूरी हैं । जब तक सच्ची शरण और सच्ची दीनता न होगी परमार्थ में तरक्की होना दिक्कत की बात हो जाती है । और मैं यह अर्ज करना चाहता हूँ कि इस सच्ची सरन और दीनता के पाने के लिए सेवा है Selfless जिसमें अपना कोई interest न हो ऐसी सेवा जो है यह most important और first step है । यह सीढ़ी है जिससे आप सच्ची सरन और दीनता पा सकेंगे । और उसके बाद परमार्थ की तरफ़ आसानी से बढ़ सकेंगे ।
DISCOURSE AT MURAR ON THE EVENING OF
21-2-79
Bachan No. 3
If there is co-operation and if there is unity success is sure. You must therefore keep in mind the तो सहयोग , संगठन और सफलता !
In this connection I would like to say one thing more. Lord has given the Satsangis an unparalleled opportunity for seva. Seva is a rare opportunity and only those who are lucky get that opportunity. We must not let this opportunity slip from our hands. You know that in Paramarth saran (surrender) and deenta (humility) are two factors which are essential. Unless there is complete and true surrender and real humility progress in paramarth becomes a matter of great difficulty and here I would like to say that for genuine saran and deenta seva is most important a seva which is selfless with no personal interest. Such seva is the first of the ladder on which you can ascend to be blessed with true saran rung and deenta and then find an easy path towards paramarth.
radhasoami
ReplyDeleteradhsoami
DeleteRadhsoami
ReplyDeleteRadhasoami
DeleteRADHASOAMI
ReplyDeleteGood job bus ab page ke look or customizetion par dyan dena
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