परम गुरु हुजूर डा. लाल साहब के बचन
आप मूखे नहीं मरें , लेकिन इतना नहीं कमायें कि हर वक्त गिनते रहें कि अब कितना हो गया , अब कितना हो गया ।
ता 0 26.12.1982 को शाम के सतसंग में हुजूर मेहताजी महाराज के बचन भाग 1 से बचन नं 119 पढ़ा गया जो कि हुजूर मेहताजी महाराज ने 26 दिसम्बर सन् 1943 ई 0 को परम गुरु हुजूर महाराज के भंडारे के मौके पर फ़रमाया था । बचन पढ़े जाने के बाद ग्रेशस हुजूर ने फ़रमाया-
दूसरी सेवा यह कि आप अपनी रहनी - गहनी ठीक करें जिससे सतसंगी लोग ठीक से रहते हैं , इनका behaviour ( बर्ताव ) बहुत अच्छा है । यह आप कैसे करेंगे ? यह भी आप preach ( उपदेश ) करके नहीं कर सकते । आप जाकर यह नहीं कहेंगे कि हम ऐसे हैं . वैसे हैं । मुश्किल हो जाता है । इसका एक तरीका यह है कि आप दयालबाग के बाहर जहाँ हो सके छोटी - छोटी कॉलोनीज़ बनाइये । उनमें बसिये और अपनी रहनी - गहनी दुरुस्त कीजिए । वहाँ बाहर के लोगों के सम्पर्क में आने के चांसेज ज़्यादा हैं । दयालबाग में तो बाहर के लोग limited number ( सीमित संख्या ) में आते हैं बहुत कम आते हैं तो एक तरीका यह भी है कि आपके रहने का ठीक तरीका हो , आप दूसरों से ठीक व्यवहार करें । कुछ चीजें आप बनावें । जहाँ पर आप 10 , 20 या 50 सतसंगी एक जगह रहें वहाँ ऐसी activities ( संस्थाएँ ) शुरु कीजिए । उनके जरिये से आप दूसरों की सेवा भी कर सकेंगे । जैसा कि मैंने पहले अर्ज किया कि आप अपने बर्ताव से और रहन - सहन से उनके ऊपर इस चीज का impression ( असर ) डालें कि आप सतसंगी लोग तरीके से रहते हैं और ठीक तरीके से चलते हैं । यह तो मैंने आपसे इस वास्ते अर्ज किया कि प्राणीमात्र की सेवा हम लोग भी खुद कैसे कर सकें । एक छोटा सा Simple तरीका है । उसको शायद आप भी कर सकें ।
दूसरी बात इस बचन में यह फ़रमाई गई है कि जो घोषणा या message या आज्ञाएँ हमारे पहले revered leaders ( पूज्य आचार्यो ) ने पूरी करने को फ़रमाई हों और आपकी knowledge ( जानकारी ) में हों उनको पूरा करने की कोशिश करिए क्योंकि इसमें कुछ ऐसा आया है । आप कुछ लोगों को अच्छी तरह से याद होगा कि हुजूर साहबजी महाराज ऐसा फ़रमाते थे कि जब दयालबाग में अच्छा काम हो जाएगा और हैडक्वार्टर मजबूत हो जाएगा , activities ( संस्थाएँ ) दयालबाग़ की तरह मुल्क में फैलाई जाएँगी । ग्रेशस हुजूर ने भी कई बार इस मामले के ऊपर सतसंगियों का attention draw किया ( ध्यान आकृष्ट किया ) । अब से 40 वर्ष पहले सतसंग में हुजूर ने यह फ़रमाया था कि हमको अपने यहाँ की industries and
activities ( उद्योगों और संस्थाओं ) को decentralize ( विकेन्द्रित ) करना होगा । जैसा कि हम देख रहे हैं कि आजकल के टाइम में जो restrictions ( प्रतिबन्ध ) इण्डस्ट्री के ऊपर लग रहे है , जो दिक्कतें काम करने में आती है , रोज तरह - तरह के Laws ( कानून ) बनते है जिनकी वजह से हम आजादी से काम नहीं कर पाते तो जरूरत इस बात की है कि बड़ी इण्डस्ट्रीज कायम न करके हम छोटी - छोटी Cottage Industries चलायें । इसमें इस तरह के problems ( समस्याएँ ) बहुत कम , शायद बिल्कुल न हो । Activities decentralization करने का मतलब यह भी हुआ कि दयालबाग़ में हम लोग जो काम करते आए हैं उसी तरह के काम आप दयालबाग के बाहर मिलजुल करके शुरु करिये । जब कहीं पर इस तरह की activities आप शुरु करेंगे तो उनका consolidation ( एकीकरण ) भी ज़रूरी होगा । दो चार छोटी - छोटी इण्डस्ट्रीज लगायेंगे , कुछ Agriculture Work ( खेती का काम ) करेंगे या इस तरह की कुछ और आपकी activity होगी , जो सतसंग प्रोग्राम के अनुसार है , तो उनका consolidation करने के लिए जरूरी हो जाता है कि वह एक ही जगह पर हों । उसका supervision ( देखभाल ) अच्छा होगा , management ( प्रबन्ध ) अच्छा होगा । इसमें काम करने वाले ऐसे हों जो dedicated workers ( आत्म - समर्पक कार्यकर्ता ) हों । जिनको सतसंग के प्रोग्राम से प्रेम हो । यह तभी मुमकिन होगा जब आप इसको एक शक्ल छोटी कॉलोनी के रूप में दें । कुछ लोग वहाँ रहें , इण्डस्ट्री चलावें , अपनी रहनी - गहनी दुरुस्त करें , सतसंग करें , चीजें तैयार करें , लोगों की खिदमत में quality goods market
( अच्छी चीजें बाजार - भाव ) से कम कीमत पर , पेश करें , तब आपकी क़दर होगी और मैं समझता हूँ कि इस तरह से आप सतसंग का message बहुत जल्दी मुल्क में फैला सकेंगे ।
radhasoami
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