Saturday, October 3, 2020

दयालबाग़ यंगमैन्स एसोसिएशन की मीटिंग में परम पूज्य हुजूर डा. लाल साहब के सत्परामर्श

 https://dayalbaghsatsang123.blogspot.com/2020/10/blog-post.html


दयालबाग़
यंगमैन्स एसोसिएशन की मीटिंग में परम पूज्य हुजूर डा. लाल साहब के सत्परामर्श

दयालबाग़ यंगमैन्स एसोसिएशन की एक मीटिंग 12.11.1978 को सुबह 9 बजे हुई


   हम सबको मालूम है कि सतसंग में जुड़े रहने के लिए पाँच Main factors हैं - सुमिरन , ध्यान , भजन , सेवा और सतसंग - इनको मैं Cardinal factors कहता हूँ इसमें कोई शक नहीं कि सुमिरन , ध्यान , भजन comparatively difficult है , difficult इस वजह से और हो  और तमाम तरह की difficulties हैं लेकिन सेवा और सतसंग ऐसा है जो कि आप comparatively easily कर सकते हैं इस वक्त सेवा को मैं most important समझता हूँ और इसी वजह से ग्रेशस हुजूर ने आज से 35 वर्ष पहले यहाँ पर नई field work की सेवा जारी की , यह सेवा for times to come चलती रहेगी ताकि लोगों को सेवा का मौका मिलता रहे और किसी को यह शिकायत नहीं हो कि सेवा करने का मौका नहीं मिला

     आपने भी बहुत सी सेवाएँ ली है लेकिन एक बात का ध्यान रखियेगा कि सेवा के साथ discipline linked है अगर आप disciplined रहेंगे तो सेवा अच्छी कर सकेंगे वैसे तो पहले भी दो चार मरतये मैंने इस चीज को कहा है कि हुजूर राधास्वामी दयाल का programme जो है वो planned है उसमें कोई changes नहीं किए जा सकते आप उस programme में हिस्सा लें , बहुत अच्छा खुशी की बात है कि आपको मौक़ा मिला लेकिन यह मत सोचिए कि वे आपकी सेवा पर dependent हैं आपने अगर उनको परम पुरुष पूरन धनी ख्याल किया है , omnipotent , omniscient and omnipresent इत्यादि , इसका नतीजा यह निकलता है कि वो आपके ऊपर dependent नहीं हैं आपके लिए तो मौक़ा create किया गया है कि आप सेवा करें और सेवा में हिस्सा लेकर के अपना भाग बढ़ाएँ परन्तु सेवा करने के बाद अगर आपके मन में यह गया कि मैंने यह किया , I am responsible for this , तो आपको जो नतीजा मिलना चाहिए , वो बहुत कम हो जाएगा ही सिर्फ यही होगा , बल्कि उससे आपके मन में थोड़ा सा अहंकार पैदा हो जाने का Danger है और इस अहंकार का नतीजा बहुत खराब हो सकता है अभी मैं South India गया था , वहाँ भी इस चीज को मैंने workers और सतसंगियों से कहा कि अगर ऐसा कभी सेवा करने का मौका मिले जो कि आप को बख्शा गया है तो आप सेवा करने के बाद यही सोचें कि बड़ा अफ़सोस है मैं और ज्यादा सेवा कर सका अगर इस तरह का ख्याल आपके दिल में रहेगा तो आपको दो जो risk है कि मन में अहंकार जाएगा , नहीं होगा और आप बहुत सी ऐसी बुराइयों से बचे हुए अपनी सेवा करते हुए आगे बढ़ते चले जायेंगे




     वैसे दुनियाँ में रहकर आराम तकलीफें और परेशानियाँ तो आती ही हैं , एक बड़ी मिसाल यह है कि कोई गाड़ी का पहिया चलता है तो कभी तो पहिये का एक हिस्सा ऊपर आता है कभी वह नीचे चला जाता है लेकिन यह पहिया इस movement से आगे को बढ़ता जाता है ऐसे ही life में होते हैं ups and downs , जो भी ups and downs life के हैं उनसे यहाँ कोई रुकावट नहीं होती Progress तो सतसंग में होती ही रहेगी परमार्थी Progress भी होती रहेगी लेकिन इस तरह के ups and downs जाएँ तो उनसे upset नहीं होना चाहिए बल्कि उससे यही interpret करना चाहिए कि किसी भी Progress में , ऐसे Movements में , इस तरह की चीजें पैदा हो सकती हैं साहबजी महाराज का यह फ़रमान कि Satsang Community , Humanity की बड़ी बड़ी सेवाओं के लिए चुन ली गई है और Superman की नस्ल कायम होगी , जैसा कि आपने सतसंग की पोथियों में पढ़ा होगा - कहीं बाहर से बन के नहीं आयेगी , आप ही लोगों में से यह नस्ल तैयार होगी , इसका आप पूरा विश्वास रखें और इस विश्वास को लेकर अगर आप आगे बढ़ेगे , काम करेंगे तो आपको success जरूर मिलेगी




2 comments:

१२४ - रचना की दया किस रारज से हुई

     १२४ - रचना की दया किस रारज से हुई ?   कुल मालिक एक ऐसा चेतन सिंधु है कि जिसके परम आनंद व प्रेम का कोई वार पार ...