Sunday, October 11, 2020

दयालबाग में दैनिक उपयोग की वस्तुओं का उत्पादन

दयालबाग में दैनिक उपयोग की वस्तुओं का उत्पादन




 राधास्वामी मत की शिक्षा के अनुसार सतसंगियों को कड़ी मेहनत करके हक़ हलाल से रोज़ी कमाने का आदेश है जो सतसंगी दयालबाग में रहने के लिए आए उनके लिए सभा ने लघु उद्योग जारी किए इससे कॉलोनी के लिए संसाधन मुहय्या करने में भी मदद मिली बाद में उन्हें कम्पनीज या स्वतंत्र रजिस्टर्ड सोसायटीज या को - ऑपरेटिव ने अपने अधिकार में कर लिया कुछ समय से इनका विकेन्द्रीकरण कर दिया गया है और अब सतसंगी स्थानीय इकाइयाँ लगाकर दैनिक आवश्यकताओं की चीजों का उत्पादन करते हैं जिनका विक्रय करीबन उनकी लागत मूल्य पर होता है इस प्रकार तीन उद्देश्यों की पूर्ति होती है आपस में मिलकर काम करने की आदत बनती है , युवक और युवतियों को कला - कौशल में प्रशिक्षण का अवसर मिलता है तथा दैनिक आवश्यकताओं की वस्तुओं की कम कीमत पर आपूर्ति होती है ये सामान विभिन्न स्टोर्स तथा प्रदर्शनियों में विक्रय किया जाता है जहाँ पर लोग देख सकें कि सतसंगी किस प्रकार मिलजुल कर रहते और काम करते हैं

    विकेन्द्रीकरण की नीति के साथ कमर्शियल गतिविधियों को अलग करने की प्रक्रिया भी प्रारम्भ हुई पहली ज्वाइंट स्टॉक कम्पनी 1942 में स्थापित हुई यह प्रक्रिया 1992 में दयालबाग़ में सतसंगीज सेंट्रल सोशल वेलफेयर सोसायटी की स्थापना से पूरी हुई ! यह सोसायटी इन इकाइयों के कामों की निगरानी करती है और उनकी गतिविधियों में समन्वय रखती है

     




1975-2000 , की अवधि में 112 उत्पादन इकाइयों स्थापित हुई कुछ इकाइयाँ अभी तक मंजूरी प्राप्त नहीं हैं , उनको मिलाकर इनकी कुल संख्या 116 है इन इकाइयों में हैंडलूम कपड़े , ऊनी शॉल , ऊनी बुने हुए वस्त्र , साधारण सूती वस्त्र , साबुन और डिटर्जेंट , बॉल पेन , चप्पल . कैनवास और रेग्जीन का सामान , होलडॉल और ब्रीफ़केस . अगरबत्ती , क्रेयॉन और एक्सरसाइज बुक ( कॉपी ) , दीवार घड़ी , छुरी - चम्मच स्टेनलेस स्टील के बर्तन , आयुर्वेदिक और यूनानी दवाइयाँ तथा चमड़े का सामान बनाया जाता है 




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