Tuesday, October 13, 2020

होली उत्सव

होली उत्सव


   परम पिता स्वामीजी महाराज की बानी में आया है :-

' फागुन मास रंगीला आया

घर घर बाजे गाजे लाया

   और भी फ़रमाया है :-

' यह नरदेही फागुन मास

सुरत सखी आई करन बिलास

     उसी शब्द में आगे यों भी फ़रमाया है :-

' तुझको फिर कर फागुन आया

सम्हल खेलियों हम समझाया  

    गोया संतों ने फागुन मास को नर - देही से उपमा देकर उसकी खास महिमा फ़रमाई है और निहायत मुनासिब , क्योंकि इस परम उत्तम देह में , जिसमें आदि से अंत तक के द्वारे मौजूद हैं और जिसमें अनन्त शब्द झनकार रहे हैं और नित्य आरती हो रही है और जिसमें बैठकर सुरत परम बिलास को प्राप्त हो सकती है , ऐसी महा अचरजी और सुखदायक वस्तु की उपमा साल के सबसे बढ़कर आनन्द और बिलास भरे मास से ही दी जा सकती थी इससे बेहतर उपमा का अनुमान भी नहीं हो सकता मगर साथ ही साथ जैसा कि तीसरी कड़ी मजकूराबाला में फ़रमाया है यह हिदायत की कि ऐसी उत्तम देह पाकर सम्हल के इस संसार में खेलना , तब निर्मल बिलास प्राप्त हो सकता है मतलब यह कि जो देह धारण करके संसार के कीचड़ ग़लीज़ में ऐसी उत्तम अवस्था को खो देते हैं , वे अंत को महा दुःख को प्राप्त होते हैं जैसा कि उसी शब्द बारहमासा में फ़रमाया है :-

 

' धूल उड़ाई छानी ख़ाक

पुण्य सँग हुई नापाक 7

 

इच्छा गुन सँग मैली भई

रंग तरंग बासना गही 8

 

फल पाया भुगती चौरासी

काल देश जहाँ बहुत तिरासी 9

 

पाप आस त्रास माहिं अति फंसी

देख देख तिस माया हँसी 10

 

हँस हँस माया जाल बिछाया

निकसन की कोई राह पाया || 11 ।।

 

तब संतन चित दया समाई

सत्यलोक से पुनि चलि आई ।।12 ।।

 

ज्यों त्यों चौरासी से काढ़ा

नरदेही में फिर ला डाला || 13 ।।

 

चरन प्रताप सरन में आई

तब सतगुरू अतिकर समझाई।।14 ।।

 

तुझको फिर कर फागुन आया

सम्हल खेलियो हम समझाया।।15 ।।

     लेकिन अगर ऐसे समय में मालिक की भजन - बन्दगी , सेवा , सतसंग , गुरू - भक्ति वगैरह का रंग खिले और जीव इस तरह पर अपनी अनमोल देह को सफल करे , तो यहाँ भी आनन्द और अंत को चरनों का परम बिलास पाकर अमर सुख को प्राप्त हो जावे

      यह तो वर्णन जीवों की अन्तरी काररवाई का हुआ इस नवीन उपमा के अनुसार स्वाभाविक ऐसा ही होना चाहता था कि जहाँ संसारी जीव इस उत्तम समय होली को महा अपवित्र और नीरस कामों में आम तौर पर खोया करते हैं , उस समय पर भक्तजन अपने परम हितकारी संत सतगुरू के हुजूर में बैठ कर नवीन रस , आनन्द और विलास करें



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