Wednesday, December 30, 2020

१०६ - नरक लोक और वहाँ के वासी ।

१०६ - नरक लोक और वहाँ के वासी । 

      पिंड देश के सब से नीचे स्थान के तले रचना से पहले के ऋणात्मक ध्रुव यानी न्यून अंग का असली सिरा वाकै है । इस मुकाम में कोई बाकायदा रचना नहीं है और इसको चेतनता की शून्यता का भारी मैदान कहना चाहिए । जो कुछ भी सृष्टि यहाँ पर है वह बहुत घटिया दर्जे की है और महासुन्न की व ब्रह्मांड के सब से निचले हिस्से की रचना से कुछ दूर पार की मुशावहत रखती है । इस घटिया दर्जे की सृष्टि ही को नरक लोक कहते हैं और यहाँ पर दुख व क्लेश की भरमार है । नरक के जीवों के अंदर निहायत ही चुरी वृत्तियाँ कायम हैं और जो कोई जीव ऊपर के स्थानों से इस दंट और दुरुस्ती के लोक में किस्मत का मारा हुआ पहुँच जाता है उसकी वे हमेशा दुर्गति करते रहते हैं । यहाँ पर रचना की तरतीय का बयान पूरा हो जाता है । यह बयान हरचंद नामुकम्मल है लेकिन इसमें रचना की भादि अवस्था से लेकर , जो निर्मल चेतन देश में है , अंत अवस्था तक का , जो नरक लोक में है , जिक्र  ा गया है । रचना के बड़े दर्जी की उत्पति का पयान करते वक्त कुल रचना के इंतजाम के मुतअल्लिक भी बहुत कुछ तफसील में जिक्र हो गया है । अब सिर्फ उस आम बंदोबस्त की शरह करनी बाकी रह जाती है कि जिसकी रू से तीनों बड़े दजों का परस्पर संबंध कायम है और जिससे हर एक का काम चल रहा है ।

 १०७ - तीन बड़े दजों के मुतअल्लिक माम इंतजाम ।

      रचना के पहले दर्जे ( निर्मल चेतन देश ) के स्थानों के इंतजाम की निसबत यहाँ पर थोड़ी ही शरह दरकार है । ये सब स्थान अपार कुल मालिक के सम्मुख बमंजिला उसके निज देश के वाकै हैं । रचना होते वक़्त सुरत व शब्द की धारों ने उन स्थानों के अंदर इस कदर चेतनता ( रूहानियत ) भर दी थी कि आईदा उनको किसी मदद की जरूरत नहीं रही । पहले दर्जे की रचना के दौरान में रचना की शुरूआत से पहले जमाने की जिस कदर पक्रिया मलिनता इस देश में छूट गई थी यानी बाकी रह गई थी यह सय दूसरे रचनात्मक वेग के जारी होने पर स्वारिज कर दी गई और जैसा कि ऊपर कहा गया अब निर्मल चेतन देश के सब स्थान हर तरह से मुकम्मल हैं और काल के प्रभाव यानी वक्त के गुजरने से उनमें किसी तरह के रह व पदल या कमी व पेशी की गुंजायश मुमकिन नहीं है । निर्मल चेतन देश की वसमत और दराजी घमुकाबिला दूसरे दो दों के बहुत ही ज्यादा है । दूसरे दो दों का हाल निर्मल चेतन देश का सा नहीं है । इनके अंदर चेतनता ऐसी मुकम्मल नहीं है कि बगैर बाहरी मदद के वे अपना काम पला सकें । चुनाँचे ब्रह्मांड के हर एक हिस्से को और नीज उसके असंख्य प्रमों और आ‌‌घाओं को पारी बारी से जरूरी मदद हासिल करने के लिये निर्मल चेतन देश के सम्मुख लाया जाता है और यही वजह है कि जिससे ब्रह्मांड सत्तलोक के गिर्द चक्कर लगाता है । चक्कर लगाने के दौरान में ब्रह्मांड से नीचे के देश यानी पिंड अपनी कशिश के जोर से ब्रह्मांड को सत्तलोक से मुनासिब फासले पर ठहराये रखते हैं । ब्रह्मांड च निर्मल चेतन देश का सा यह बाहमी तअल्लुक , जो अभी बयान हुआ , पिंड देश व ब्रह्मांड के दरमियान भी कायम है यानी पिंड देश भी ब्रह्मांड के गिर्द घूमता है और ब्रह्मांड से मदद हासिल करता है । लेकिन ब्रह्मांड और पिंड देश का रुख बिलकुल न्यून अंग के अंतिम यानी आखिरी सिरे की जानिब है क्योंकि ब्रह्मांड रचना से पहले के मध्य देश ( Neutral Zone ) के उस हिस्से में वाकै है जो आदि न्यून अंग से सटा हुआ था ( देखो दफा ९ १ ) । न्यून अंग के आखिरी सिरे की जानिब इस लगातार मुकाव के कारण ब्रह्मांड से नीचे की जानिय चेतनता बह रही है जिसको न्यून अंग के निचले स्थान , जो चालू के समान खुश्क है , बड़े शौक के साथ जाप कर रहे हैं । लेकिन रचना के पहले से इन स्थानों की बनावट इस क्रिस्म की है कि ये अपनी हैसियत से बढ़ की चेतनता अरसे तक अपने अंदर नहीं रख सकते । इस लिये जो चेतनता ब्रह्मांड से लगातार उतर कर जमा होती है वह ऊपर की जानिब सूक्ष्म रूप में उड़ने लगती है यानी उसको धार ऊपर की जानिए पहने लगती है जिससे जीव - सुधार के सिलसिले में , खास कर पिंड देश को , भारी फायदा हासिल होता है क्योंकि नरक लोक और पिंड देश के निचले स्थानों के जीव उसकी मारफत ऊँचे स्थानों पर चढ़ आते हैं । मगर चूंकि यह धार पिंड देश की चोटी के स्थान से परे नहीं जा सकती इस लिये इसकी मदद से जीव पिंड की चोटी यानी स्थान ही तक पहुँच सकते हैं । यहाँ पहुँचने पर इस धार का मेल रुख वाली धार से होने पर एक चक्कर खतम होकर दूसरा चक्कर शुरू होता है । इसी चक्कर को चौरासी का चक्कर कहते हैं । मालूम होवे कि कोई भी जीव इस चक्कर से बाहर नहीं निकल सकता जब तक कि इससे परे के स्थानों में रसाई हासिल करने का साधन खास तौर पर न कराया जाये । इस दफ़ा में जो कुछ बयान हुआ है वह कुल ब्रह्मांडों और कुल पिंड देशों को एक ब्रह्मांड और एक पिंड गरदान कर किया गया है । अब हम इन दो दों के एक एक जुज यानी एक ब्रह्मांड और एक पिंड को निगाह में रख कर उनके मजीद हालात बयान करेंगे ।





                                            👉👉https://youtu.be/2ZgHbzJEtgo




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