Monday, September 21, 2020

परम गुरु हुजूर मेहताजी महाराज के बचन { बचन नं 4 }

परम गुरु हुजूर मेहताजी महाराज के बचन

बचन नं 4

14 दिसम्बर , 1941 को विद्यार्थियों के सतसंग में तीन शब्दों का पाठ हुआ

 ( 1 ) समझ मोहि आई आज गुरु बात

 गुरु का कहना चित धर सुनिये बात कहें गुरु हित की छाँट ।।

 करनी से मुख कभी फेरो जहँ लग अपनी पार बसात ।।

करनी किये बिन बल नहिं आवे बिन बल कैसे पंथ चलात ।।

पंथ चले बिन घर रहे दूरी काल करम नित करें उत्पात ।।

( प्रेम बिलास , शब्द 120 ) 

( 2 ) गगन में बाजत आज बधाई

प्रेम बढ़ा करनी करवाई , करनी कर बहु मेहर बढ़ाई

( प्रेमबानी , भाग 3 , बचन 14 ( 7 ) , शब्द 3 )

 ( 3 ) पीले प्याला हो मतवाला , प्याला नाम अमी रस का रे

 बालपना सब खेल गँवाया , तरुन भया नारी बस का रे

( कबीर साहब की शब्दावली )

 इन शब्दों के बाद हुजूर ने फ़रमाया- इन शब्दों के परमार्थी मतलब को छोड़ कर यदि संसारी दृष्टिकोण से देखा जाए तो ये शब्द आप लोगों के लिए बहुत उपयोगी शिक्षा देते हैं तीसरे शब्द में बतलाया गया है कि हमने अपना बचपन का जमाना गफ़लत लापरवाही में बरबाद कर दिया और कोई करनी या काम नहीं किया पहले शब्द में मिल कर काम करने की हिदायत मिलती है टेकनिकल कॉलेज के छात्रों को खास तौर से इस शब्द से नसीहत लेनी चाहिए इसमें बताया गया है कि हमको करनी यानी सख्त काम ( Manual Work ) से कभी मुँह मोड़ना चाहिए क्योंकि करनी के बिना बल यानी शक्ति , योग्यता और अनुभव प्राप्त नहीं होते और जब तक बल नहीं आवेगा हमारी उन्नति सफ़लता का मार्ग नहीं चलेगा और यदि मार्ग नहीं चलेगा तो हम जहाँ के तहाँ ही रहेंगे और निज घर ( अभीष्ट स्थान ) तक कभी नहीं पहुँच पावेंगे इसलिए इस शब्द में बतलाया गया है कि गुरु महाराज आप लोगों के लिए छाँट कर यानी हित की बात कहते हैं , आप उसको चित्त धर यानी ध्यान से सुनिए वह यह कि आपको किसी भी दशा में करनी यानी काम के करने से हटना नहीं चाहिए दूसरे शब्द में करनी का फल बतलाया गया यानी यह कहा गया है कि यदि आप मेहनत से . दिल लगा कर काम करेंगे और सख्त काम करने से नहीं हिचकिचायेंगे तो आप अपने इरादे में अवश्य सफ़ल होंगे , संसार में कमाल हासिल कर सकेंगे और अंत में आप मालिक के दया - पात्र होंगे इस तरह से इन तीनों शब्दों के भाव को दृष्टि में रखते हुए हमारे लिए क्रमशः एक लाभदायक उपयोगी शिक्षा मिल जाती है यदि आप लोग अपने शिक्षा काल को बर्बाद नहीं करना चाहते तो काम को शौक़ मेहनत से करके उससे अनुभव योग्यता प्राप्त करें और उनके अनुसार अपने जीवन का ऊँचा ढंग बनाएँ तो सफ़लता अवश्य मिलेगी


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