Monday, September 21, 2020

परम गुरु हुजूर मेहताजी महाराज के बचन {बचन नं 5}

 

परम गुरु हुजूर मेहताजी महाराज के बचन

बचन नं 5

1 अगस्त , 1943 को लड़कों का सतसंग हुआ दो शब्द मौज से निकाले गए-

( 1 )        मैं भूली सतगुरु स्वामी मैं चूकी अन्तरजामी ।। 1 ।।

 क्या क्या कहूँ मैं बिथा बखानी

 सब जग को पैंडियन कीन्ह दिवानी ।। 2 ।।

( सारबचन , बचन 22 , शब्द 9 )

 

  (2)       बाल समान चरन गुरू आई

देख दरश अतिकर हरखाई ।। 1 ।।

       खेलूं गुरु सन्मुख घर प्यार

सुनत रहूँ गुरु बानी सार ।। 2 ||

 आरत धारूँ उमँग प्रेम से

जपत रहूँ गुरु नाम नेम से ।। 3 ।।

 गुरु की लीला निरख निहार

बिगसत मन और बढ़त पियार || 4 ||

 राधास्वामी दीना भक्ती साज

चरन सरन हिये धारी आज || 5 ||

( प्रेमबानी , भाग 2 , बचन 9 ( 3 ) . शब्द 40 )

     फ़रमाया पहला शब्द ऐसे विद्यार्थियों के लिए है जो गत वर्ष वार्षिक परीक्षाओं में उत्तीर्ण हो सके और जिन्होंने साल भर अपना ध्यान पढ़ाई की तरफ़ नहीं रखा शब्द के बीच में जो बातें वर्णन की गई यानी नाम का दान पाना , नाम की युक्ति कमाना और नाम के प्रताप से मुक्ति पाना आदि सब बातें उसी दशा में सम्भव हो सकती हैं जब आदर्श सतसंगी बना जाय परन्तु यहाँ पर छात्रों को सतसंगी बनाने का नियम नहीं है , इसलिए आपके लिए इस शब्द के अनुसार आदर्श सतसंगी होना यही है कि शिक्षा के संबंध में जो आदेश आपको ऊपर दिए गए हैं उन पर आप चलें जो रुपया आप अपने माता - पिता से भगायें उसका सदुपयोग करें , उसे शिक्षा के अलावा हानिकारक खेलों तमाशों में नष्ट करें यदि आप ऐसा नहीं करते तो आप आदर्श सतसंगी नहीं बन सकते और जिस तरह से पिछले साल की लापरवाही  ध्यान देने और समय के नष्ट करने का नतीजा निकला , संभव है कि अगले साल भी वैसा ही बुरा नतीजा निकले यह शब्द आपको इस शैक्षिक वर्ष के शुरू में चेतावनी देता है जिससे आप आरंभ ही से संभल कर चलें और जिस उद्देश्य से आप यहाँ आए हैं उसके पूरा करने में सफल हों अनुत्तीर्ण छात्रों को चाहिए कि वे इस वर्ष आरंभ से ही ऐसा परिश्रम करें कि हर एक विषय में 70 प्रतिशत नंबर लावें आप लोगों में से जिनको यह बातें स्वीकार हों वे हाथ उठावें समस्त छात्रों ने हाथ उठा कर अपनी स्वीकृति दी

         इस शब्द की कड़ियाँ आपकी दशा पर बिल्कुल घटती हैं इसी शब्द में कर्मी धर्मी का उल्लेख है आप लोगों में कर्मी धर्मी वे छात्र हैं जो समय नष्ट करते हैं और परीक्षा में फेल हो जाते हैं जो परिश्रम करके पास हो जावेंगे उनका छुटकारा हो जावेगा यही उनके लिए मुक्ति का मिलना है फ़रमाया दूसरे शब्द में आता है जपत रहूँ गुरु नाम नेम से नाम का नियम से जप करना आपके लिए यही है कि जो पाठ पढ़ाया जाए उसे आप नियम के साथ याद करें  

        इसके बाद तीसरा शब्द निकला

  मेरी पकड़ो बाँह हे सतगुरु

नहिं बह्यो धार भौसागर ।। 1 ।।

  कोइ मंत्र सिखाओ कर |

लो चरन ओट किरपा कर ।। 4 ।।

   राधास्वामी सरन तू दृढ कर ।।

  फिर छोड़ कभी उमर भर ।। 10 ।।

( सारबचन , बचन 29 , शब्द 2 )


 



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