परम गुरु हुजूर मेहताजी महाराज के बचन
9 जुलाई , 1944 को लड़कों के सतसंग में हुजूर कुछ उपयोगी बातें आप लोगों के सामने पेश करता हूँ । विश्वास है कि आप उनसे लाभ उठायेंगे । आपको चाहिए कि जब आप अपनी क्लास में बैठे तो कभी झुक कर न बैठे , सदा सीधे बैठें , चलते समय भी झुक कर चलने की आदत न डालें । ढीले होकर या झुक कर कभी न चलना चाहिए बल्कि चुस्त व सीधे रहना चाहिए । जब पढ़ना हो तब लेट कर न पढिए बल्कि कुर्सी या स्टूल पर बैठ कर आपको पढ़ना चाहिए । आपको चाहिए कि अपना शरीर , मन , मस्तिष्क , कपड़े व निवास स्थान सदा स्वच्छ रखें व निर्मल रखें । मस्तिष्क के निर्मल रखने का अभिप्राय यह है कि आप व्यर्थ बुरे विचार न उठावें और हृदय के निर्मल रखने का मतलब यह है कि आप किसी के लिए दिल में द्वेष व ईर्षा न रखें । खाना सदा समय पर और भूख से कुछ कम खाना चाहिए ।
खराब या सड़ा हुआ खाना स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डालता है । उसे नहीं खाना चाहिए । आप कोई भी काम मनसा - वाचा - कर्मणा से बुरा न करें । किसी वस्तु को चाहे कपड़ा हो या कागज , स्टेशनरी या खाने पीने का सामान , व्यर्थ नष्ट या अपव्यय ( waste ) न करें और न अपने विचारों का अपव्यय करें । चूँकि आजकल कागज महँगा है इसलिए दोनों ओर लिखें , हाशिया कम छोड़ें । अपनी कापी बुक से कागज न फाड़ें । अपना पैसा होस्टल में या जेब में न रखें । या तो उसे पास बुक में रखें या दफ्तर में जमा करा दें । प्रतिदिन सुबह उठने पर व्यायाम अवश्य करें । अपने मेस के सेक्रेटरी पर निगाह रखें कि वह आपके पैसे को आपके खाने पीने पर ठीक तौर पर खर्च करता है या नहीं । जिस उद्देश्य से आप यहाँ पर आए हैं उसे सदैव अपने सामने रखें और उसके अनुसार अपना प्रोग्राम बनावें जिससे आप अपना अधिक से अधिक समय उसमें दे सकें । प्रकट रूप से देखने में यह बात सहज मालूम होती है परन्तु इसके लिए आपको कोशिश करनी होगी । अभिप्राय यह है कि खेलने के समय के अलावा अपना समय पढ़ने में लगावें । व्यर्थ बातों जैसे सिनेमा , थियेटर या आवारागर्दी में अपना समय कदापि न नष्ट करें । सिनेमा जाने की बिल्कुल मनाही है । जो लड़के सिनेमा जायेंगे उनके नाम नियमपूर्वक नोट कर लिए जायेंगे । आपको यहाँ का बना हुआ कपड़ा पहनना चाहिए और यहाँ की वस्तुएँ उपयोग में लानी चाहिए । इससे मेरा अभिप्राय केवल यह ही नहीं है कि यहाँ की वस्तुओं की बिक्री हो बल्कि अभिप्राय यह है कि हम लोगों के विचार , बातचीत , पोशाक और ढंग एक प्रकार के होने चाहिए तभी हमारा प्रभाव और लोगों पर पड़ेगा । ये सब बातें बिना एक प्रकार की पोशाक सम या ड्रेस के नहीं हो सकती हैं ।
radhasoami
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