Bachans of Param Guru Huzur Mehtaji Maharaj
Bachan No. 2
12 October, 1937 A meeting of senior students of REI and Technical College was held in the afternoon which was presided by Gracious Huzur Two Shabdas were recited One of which was –
सुन सुन रह्या न जाय महिमा सतगुरु की ।। टेक ।।
मछरी पड़ी भंवर के माहीं बहती बेबस धार ।
ठहरन को कहिं ठौर न पावे मछुआ खड़ा रे किनार ।।
( प्रेम बिलास , शब्द 117 )
After the recitation was over, Huzur thus addressed the students.
Nowadays on account of unemployment the
condition of the youth in India is like that of the fish caught in the
whirlpool as described in the above couplet They are in a state of utter
despondency Therefore it becomes the duty of every student to decide upon his
aim in life soon and strive for its attainment to the best of his ability so
that he can prove to be useful not only to himself but also to his community
Huzur made about a dozen and a half students stand up and asked each one of
them "What work have you chosen for your life" Half of them had not
determined their aim in life Huzur explained to them that such carelessness is
very bad.
परम गुरु हुजूर मेहताजी महाराज के बचन
बचन नं 2
12 अक्तूबर , 1937 आज तीसरे पहर आर 0 ई ० आई ० व टेकनिकल कॉलेज के सीनियर विद्यार्थियों का जलसा हुजूर की सदारत में हुआ । दो शब्दों का पाठ किया गया । एक शब्द था-
सुन सुन रह्या न जाय महिमा सतगुरु की ।। टेक ।।
मछरी पड़ी भंवर के माहीं बहती बेबस धार ।
ठहरन को कहिं ठौर न पावे मछुआ खड़ा रे किनार ।।
( प्रेम बिलास , शब्द 117 )
पाठ समाप्त होने पर हुजूर ने फ़रमाया-
आजकल भारतवर्ष के नवयुवकों की दशा बेकारी के कारण उपरोक्त कड़ी में लिखी हुई मछली की तरह हो रही है और वे बेचारे अत्यन्त निराशा की दशा में हैं । अतः प्रत्येक विद्यार्थी का कर्तव्य हो जाता है कि वह अपने जीवन का लक्ष्य तुरन्त निश्चित कर ले व उसकी प्राप्ति के लिए यथाशक्ति प्रयत्न करे और न केवल अपने बल्कि अपनी संगत के लिए लाभदायक सिद्ध हो । हुजूर ने लगभग डेढ़ दर्जन छात्रों को खड़ा करवाया और उनमें से हर एक से पूछा कि “ तुमने अपने जीवन के लिए क्या काम चुना है । " उनमें से आधे विद्यार्थी ऐसे थे जिन्होंने अपने जीवन का कोई लक्ष्य निर्धारित नहीं किया था । हुजूर ने उनको समझाया कि यह लापरवाही की दशा अत्यन्त ख़राब है ।
radhasoami ji
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