Thursday, October 8, 2020

सतसंग का महत्व तथा असली मानी सत्तपुरुष का संग

सतसंग का महत्व तथा असली मानी सत्तपुरुष का संग

सतसंग के असली मानी सत्तपुरुष का संग है इसलिए जहाँ कहीं पर सच्चे संत जो अवतार सत्तपुरुष का हैं विराजमान हों या फिर उनके निज सतसंगी जो जेर निगरानी उनके प्रेम और सचौटी के साथ अभ्यास करते हों सच्चे मालिक का निर्णय कीर्तन और उससे मिलने के सच्चे रास्ते और जुगत का बयान करें उस संगत का नाम असल सतसंग है

     2. कबीर साहब ने फ़रमाया है-

मैं तो आन पड़ी चोरन के नगर सतसंग बिना जिया तरसे

इस सतसंग में लाभ बहुत है तुरत मिलावे गुरु से

मूरख जन कोई सार जाने सतसंग में अमृत बरसे

शब्द सा हीरा पटक हाथ से मुट्ठी भरी है कंकर से

कहें कबीर सुनो भाई साधो सुरत करो वाहि घर से

     3. ऐसे संग साथ में हाजिर रह कर इन्सान सहज में अपने मन की तमाम शंकाएँ दूर कर सकता है और चित्त की किसी क़दर सफाई निश्चलता हासिल करके सहूलियत के साथ इस संसार सागर से तरने कुल मालिक से मिलने की युक्ति की कमाई कर सकता है

     4. अगर वाक़ई कहीं पर सच्चे साध संत मौजूद हैं तो उनके रोम रोम से पवित्र चेतनता की धार निकलती होगी मामूली इंसान से जो धारें निकलती हैं वह मलीन होती हैं , क्योंकि उसका हृदय मलीन है और उसमें बिकारी अंग प्रबल है मगर साध संत का हृदय निहायत पवित्र होने के अलावा उनकी सुरत निहायत चेतन है और सत्तपुरुष से जो महा विशेष चेतन के भंडार हैं से मेल कर रही है , इसलिए उनके शरीर से जो " औरा ' निकला होगा उसकी पवित्रता का क्या अंदाजा हो सकता है पस ऐसे महापुरुष के " औरा ' की धार ही में स्नान करते रहने से सहज में बिकारी अंगों का मर्दन हो सकता है


    5. अगर गौर से देखा जाये तो मन की यह आदत है कि या तो परमार्थ से सोना चाहता है यानी थक थका के इधर उधर का बहाना पेश करके गाफ़िल ( बेखबर ) होना चाहता है या फिर जोश खरोश ( अधिक आवेश ) में भरकर दौड़ धूप करना चाहता है जाहिर है कि दोनों हालत में परमार्थ का नुक़सान मुतसविर ( ख्याल किया जाता ) है इसलिए निहायत जरूरी है कि हर एक अनुरागी भक्त जन इन विघ्नों से बचने की फ़िक्र करे सहज युक्ति इनसे बचने की सिर्फ़ सतसंग है वहाँ पर हाजिरी देने और वहाँ की बातचीत सुनने से मन पर इस किस्म की चोट रोक लगती रहेगी जिसकी वजह से यह तो सोने ही पावेगा और बहने ही पावेगा और सहज में मध्य की चाल जो सच्चे परमार्थ में निहायत ज़रूरी है चलता रहेगा मन को भड़काने और संसार में बहाने वाले बहुत हैं और संसार के भोग बिलास या मान बड़ाई में उलझा कर सच्चे परमार्थ से गाफ़िल करा देने वाले भी बहुत हैं , मगर इसको जगाकर मध्य की चाल चलाना बगैर सुरतवंत पुरुष के , यानी जिसकी सुरत यानी रूह जगी है और जो खुद अपने मन पर पूरा काबू किए हुए हैं , किसी से हरगिज़ हरगिज मुमकिन नहीं है

।। राधास्वामी दयाल की दया ।।

🙏 ।। राधास्वामी सहाय ।। 🙏

🙏🏻🌹।।राधास्वामी ।।🌹🙏🏻

 


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