Tuesday, November 10, 2020

कामिल पुरुषों की चार प्रकार की गति

३६ - कामिल पुरुषों की चार प्रकार की गति ।


        मालूम हो कि कामिल पुरुषों में ऊपर बयान किये हुए , दर्जी के अलावा उनकी गति के लिहाज से भी भेद होता है , क्योंकि गति चार प्रकार की होती है : -अव्बल सालोक्यगति , जिसमें केवल किसी ऊँचे स्थान तक रसाई होती है । दूसरे सामीप्यगति , जिसमें किसी स्थान के धनी यानी अधिष्ठात्री शक्ति तक रसाई होती है । तीसरे सारूप्यगति , जिसमें किसी स्थान के धनी का सा स्वरूप धारण करने को कुदरत होती है और चौथे सायुज्यगति , जिसमें किसी धनी के जौहर के साथ मिल कर एक हो जाने की ताकत हासिल हो जाती है । पिछली दोनों किस्म की गति वाले पुरुषों को , जिस स्थान तक कि ये पहुँचे हैं , यहाँ के धनी से इच्छानुसार भेद य अभेद भाव में यरतने का भी इख्तियार रहता है ।

       

      ऊपर की शरह से जाहिर है कि किसी ऊँचे मुकाम तक रसाई हासिल करने के लिये अभ्यासी के वास्ते लाजिमी है कि वह हर दरमियानी स्थान के मुतअल्लिक चारों प्रकार की गति हासिल करे । चुनाचे योगी को पिंड यानी मलिन माया - देश के छः स्थानों और ब्रह्मांड यानी ब्रह्मांडी मन के देश के तीन नीचे के स्थानों में चारों प्रकार की गति हासिल होती है ।

३७ - कामिल पुरुषों के अंदर असाधारण शक्तियाँ । 

       



      हर कामिल पुरुष के अंदर किसी ऊँचे स्थान में रसाई हासिल करने पर वहाँ की शक्तियाँ किसी कदर जाग जाती हैं और जब वह वहाँ के धनी के साथ सायुज्यगति से एक हो जाता है उस हालत में धनी की तमाम शक्तियाँ और सिफतें उसके अंदर आ जाती है । इस पर सवाल हो सकता है कि इस किस्म की शक्तियाँ प्राप्त रहते हुए कामिल पुरुष उनका दुनियाँ में इज़हार क्यों नहीं करते । अगर वे इनका इजहार करें तो सब किसी को यकीन आ जावे कि सचमुच उनके अंदर ऊँचे स्थान की शक्तियाँ मौजूद हैं ।


 

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