Saturday, November 14, 2020

४५ - अवतार की आमद से संसार को भारी लाभ पहुँचता है

👉👉👉 :- https://dayalbaghsatsang123.blogspot.com/2020/11/43.html

४५ - अवतार की आमद से संसार को भारी लाभ पहुँचता है





       सवाल हो सकता है कि वह कौन सी ज़रूरत ग़रज़ है जिसके पूरा करने के लिए संसार में अवतार की आमद होती है , चुनाँचे अब इसी का जवाब देते हैं यह बयान हो चुका है कि रचना में , जो एक सर्वज्ञ पुरुष ने सजाई है , कोई भी चीज बेठिकाने या इत्तिफाकिया नहीं है और रचना और इसके निवासियों के लिये जो भी अवस्थाएँ रवा रक्खी गई हैं उन सब के अंदर दया से भरे हुए कायदे कानून काम कर रहे हैं , इस लिये जाहिरा कष्ट और क्लेश की हालतों के अंदर भी , हरचंद वे निहायत दुखदाई और अक्सर हृदय विदारक होती है और सख्त घेरहमी उनसे टपकती है , घराबर मसलहत अंत में लाभ पहुंचाने की मौजूद रहती है क्योंकि ये हालतें आखिर उस सर्वज्ञ यानी इल्मे कुल माले कुल सच्चे मालिक ही के किसी कायदे कानून का जहूरा तो हैं और जब यह मान लिया गया कि रचना का आदि यानी मूल कारण एक सर्वज्ञ पुरुष है तो इसके अंदर सदा के लिए दुःख भोगने की सूरत की मौजूदगी अयुक्त यानी लगब हो जाती है और जब ऐसी अवस्थाओं तक के अंदर , जो कुल मालिक के परम आनंदमय जौहर के विरुद्ध मालूम होती हैं , मसलहत लाभ की मौजूद है तो संसार में अवतारों की भामद के अंदर , जो खुद परम आनंदमय जौहर के अंदर मौज उठने के कारण होती है , कमाल दर्जे की दया मेहर मुतमब्बर होनी चाहिए

 

४६ - संसार में कलाधारी पुरुषों के द्वारा ही सब सुख का सामान और ज्ञान प्रकट होता है

 

      तहजीययाफ्ता लोगों के सब के सब मुख और भोग विलास , उनके वे सब पाले औजार सामान, जिनसे दुःख दूर होते हैं और दूर रहते हैं या जिनसे सौदागरी व्यापार की तरक्की होती है , उनकी वे सब मालूमात ईजादात , जिनसे सृष्टि के अंदरूनी इंतजाम कायदा कानून की मनुष्य को किसी कदर झलक मिलती है ( हरचंद वह झलक महज जुञ्ची पानी अल्प होती है ) , वे तमाम रूपक नाजुक खयालात फाजिलाना तस्नीफात , जिनके जरिये से बुद्धि को शांतिमय सुख प्राप्त होता है और वे सब कायदे कानून , जिनका खास मतलच विरोध को दूर करके दुनिया के काम काज के लिये सहूलियत और प्रेम की सूरत पैदा करना है , सभी का जहूर इस पृथ्वी पर कलाधारी यानी खास तरह के संस्कार वाली सुरतों की आमद ही से हुआ है और मालूम होता है कि मुख़्तलिफ कौमों की उन्नति और अवनति यानी तरकी तनजुली और उनकी तहजीव यानी उनमें इंसानियत का बढ़ाव घटाव इस किस्म की सुरतों ही की मौजूदगी और अदममौजूदगी के हिसाब से होता रहा है इस लिये यह कह सकते हैं कि सब के सब इल्म फ़न का जहूर , जो पिछले ज़माने में इस संसार में प्रकट हुए , अब हो रहे हैं या आइंदा होंगे , मुनासिब दिमागी काबिलियत वाली संस्कारी सुरतों के द्वारा ही मुमकिन है



👉👉 https://dayalbaghsatsang123.blogspot.com/2020/11/43.html 👈👈

 

No comments:

Post a Comment

१२४ - रचना की दया किस रारज से हुई

     १२४ - रचना की दया किस रारज से हुई ?   कुल मालिक एक ऐसा चेतन सिंधु है कि जिसके परम आनंद व प्रेम का कोई वार पार ...