Monday, November 2, 2020

रचनहार शक्तियाँ नामालूम तौर पर काम कर रही हैं

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२८ - रचनहार शक्तियाँ नामालूम तौर पर काम कर रही हैं ।



     
      रचना के इंतजाम के अंदर इस बात का लिहाज़ रखा गया है कि तीन नापों का हर एक ' सेट ' यानी जोड़ और दूसरे जोड़ों से इस तरीके पर अलहदा है कि एक को रचनहार शक्तियाँ दूसरों की रचनहार शक्तियों से तीव्रता और सूक्ष्मता में मुख्तलिफ रहती हुई उनमें से कोई असर किसी में पैदा नहीं करतीं । अगर इस तरह का लिहाज न रक्खा जाता तो रचना के अंदर मौजूदा दर्जेवार तरतीब कायम न हो सकती थी और नीचे घाटों पर ऊँचे दर्जे की शक्तियों के उतर पाने से वही सूरत नमूदार होती जो बिजली की धारों के रास्ते में रुकावट आने पर देखने में आती है यानी जैसे बिजली की धारों के रास्ते में रुकावट आने पर बिजली बड़े वेग के साथ अपना इजहार करके उन रुकावटों के मसाले को जला देती है इसी तरह ऊँचे मंडलों की शक्तियाँ नीचे मंडलों में उतर कर ( जहाँ का मसाला नोचे दर्जे का होने की वजह से रुकावट का काम करता ) पड़े वेग के साथ अपना इजहार करती जिससे उन सब का नाश हो जाता । इस पुस्तक के तीसरे भाग में तीन नाप वगैरह के मुख्तलिफ जोड़ों के याहमी रिश्ते और तफरीक का मुफस्सल बयान किया जावेगा ।


      यहाँ पर सिर्फ इस ऋदर जहननशीन कराना चाहते हैं कि हमारी वाकफियत के दायरे से बाहर के घाटों की मारफत जो बहुत सी जबरदस्त रचनहार शक्तियाँ रचना में काम कर रही हैं उनकी हस्ती से इनकार करना नामुनासिब है । इन शक्तियों के संग संग , जैसा कि तीसरे भाग में हम दिखलायेंगे , बड़े जोर शोर की धुनें हो रही हैं और अंतर के कान यानी सुनने को सूक्ष्म इंद्रियाँ काफी तौर से जागने पर जब वे धुनें सुनाई पड़ती हैं तो उनका अभ्यासी पर बड़ा जबरदस्त असर होता है । वे धुनें दो प्रकार की हैं : -एक तो चेतन यानी रूहानी , जिनका रुख अंतर्मुख है और जो आकर्षक ( कशिश करने वाली ) हैं , दूसरी मायिक व मन संबंधी, जिनका रुख चैतन्य धुनों के खिलाफ है।

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