👉👉👉 :- https://dayalbaghsatsang123.blogspot.com
२६ - हर शब्द के अंदर उसके पैदा करने वाली शक्ति के खवास मौजूद रहते हैं ।
मालूम हो कि जितने भी शब्द इस संसार में होते हैं वे सब के सब अपने पैदा करने वाली शक्तियों के खबास यानी गुण लिये रहते हैं । मिसाल के लिये बारूद या इस किस्म की किसी और चीन के उड़ने या फटने से जो धड़ाका पैदा होता है उस पर गौर करो । जब कहीं पर कोई ऐसी चीज़ फटती है तो फौरन वहाँ पर बहुत ज्यादा मिकदार में गैस पैदा हो जाती है , जिसमे आस पास की चीजों को एक दम बड़े जोर के माथ धक्का लगता है और उम धक्के का अचानकपन और उसकी तीव्रता यानी तेज़ी घड़ाके के मुख्य अंग होते हैं । चुनाँचे उसके संग संग जो खास किस्म की आवाज़ पाती है उसमें ये दोनों अंग साफ तौर पर पाये जाते हैं । अलावा इसके मनुष्य की बोली से जो शब्द पैदा होते हैं उनके अंदर मी यह उसूल ( नियम ) देखने में आता है क्योंकि मन के अंदर जैसी दशा वर्तमान होती है उसका असर मनुष्य के वचनों में बराबर मौजूद रहता है और जो अंग जिस वक्त मन के अंदर प्रबल होता है उसी के मुताबिक खयालात यानी मावों का इजहार मनुष्य के वचनों से हुआ करता है । मतलब यह है कि मनुष्य के अंदर जब कोई वेग क्रोध , प्रेम वगैरह का प्रबल होता है तो ऐसे मौके पर जो लफ़्त यह मुख से निकालता है उनके अंदर उसके मन की दशा का असर मौजूद रहता है और उसके वचनों से जिन सयालात का इजहार होता है वे उसके मन के वेग के मुताबिक ही हुआ करते हैं । पशु - योनि , जिसमें चेतनता नीचे दर्जे की है , आवाजों के जरिये सिर्फ मन के सादे मावों का इतहार कर सकती है लेकिन मनुष्य अपने स्वर यानी लहजे को बदल कर निहायत नाजुक खयालात और निहायत सुंदर रूपकों का वर्णन कर सकता है , जैसा कि असाधारण वृद्धि वाले मनुष्यों के वचनों से जाहिर होता है । साधारण मनुष्य मी , जब उनके अंदर जोश व जाये का रालया होता है , ऐसा लहजा इडितपार करते हैं और ऐसे बोल मुख से निकालते हैं कि जिनसे उनके मन की हालत साफ तौर पर जाहिर होती है ।
माता अपने बच्चे के साथ जो मीठी और घुली बातें करती है या नजदीकी लोग किसी रिश्तेदार की मृत्यु हो जाने पर जो विलाप करते हैं या शूरवीर रणक्षेत्र में जो दहाड़े मारते हैं उनसे साफ जाहिर होता है कि इंसान की बोली में उसके मन के भावों का असर जरूर मौजूद रहता है । अब अगर तुच्छ इंसान के शब्द यानी आवाज़ की मारफत ऐसे ऐसे जबरदस्त असर पैदा किये जा सकते हैं तो खयाल किया जा सकता है कि रचना की शुरूपात के समय परम चेतन - शक्ति के प्रथम प्रकाश यानी अव्वल इजहार के संग जो शब्द प्रकट हुआ उसकी मारफत कैसा जबरदस्त चेतन असर रचना के अंदर जाहिर हुभा होगा ।
radhasoami
ReplyDelete