Thursday, November 5, 2020

मन के भावों का असर चेहरे पर जरूर भी झलकता है

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३२ - मन के भावों का असर चेहरे पर जरूर भी झलकता है ।


      यह बयान करने से पहले कि असली चेतन स्वरूप का ध्यान कैसे किया जा सकता है हम सराहत ( स्पष्टता ) की गरज से एक खारिजी ( पाहरी ) बात का जिक्र करना मुनासिब समझते हैं । दफा २० में यह जिक्र किया गया था कि मन के प्रबल भावों का असर चेहरे पर भलका करता है और बार बार असर जाहिर होने पर उसके निशान चेहरे पर पुख्ता तौर से कायम हो जाते हैं । मालूम हो कि यह बात सिर्फ प्रबल भावों के लिये मखमूस नहीं है बल्कि कम व वेश मभी तरह के भावों का यही कायदा है । इतना जरूर है कि ग्राम लोगों को चेहरे से सिर्फ प्रबल भावों ही का पता चलता है लेकिन तजरुबेकार और काविल शम्स दूसरों के चेहरे की तर्ज बनावट देख कर उनके चाल चलन और मन के अंदर का हाल मालूम कर लेते हैं । इससे साबित होता है कि मनुष्य के चेहरे पर उसके मन के भावों का असर जरूर मौजूद रहता है । अब हम असल मजमून की तरफ लौटते हैं । 

३३ - चेहरा देखने से मन पर असर पड़ता है ।


       जैसे किसी का पोल मुनने पर उसके मन के भावों के मुताबिक हमारे अंदर भाव पैदा हो जाते हैं ऐसे ही लोगों के चेहरे की आकृति या बनावट देखने पर हमारे अंदर उनके से खपाल पैदा हो जाते हैं । इसके मुबूत में हम बेशुमार मिसालें पेश कर सकते हैं । चुनाँचे देखो , एक प्रेमी का चेहरा देखने पर उससे प्रीति रखने वाले के अंदर प्रेम - भाव उमड़ आता है और माँड़ों व मसखरों के हँसाने वाली शक्ल देखने पर हर कोई बेसाहता हँस पड़ता है । इतना ही नहीं बल्कि उनकी शक्ल की याद आने पर भी लोगों को हंसी आ जाती है । मालूम हो कि इसी तरीके से मन के अंदर परमार्थी भाव या उमंग पैदा करने की ग़रज से किसी चेहरे का बाकायदा चितवन करना अभ्यासियों की बोली में चेतन स्वरूप का ध्यान कहलाता है । चूंकि हमारे मन में असल परमार्थी भाव खालिस चेतन स्वरूप ही के चितवन से पैदा हो सकते हैं और दूसरे यानी मामूली स्वरूपों के जरिये से यह मतलब नहीं निकल सकता इस लिये सवाल होता है कि खालिस चेतन स्वरूप किस स्वरूप को माना जावे । पेश्तर इसके कि इस सवाल का जवाब दें हम कामिल यानी पहुँचे हुए पुरुषों और उनके लक्षणों का थोड़ा सा बयान करना ज़रूरी समझते हैं क्योंकि इससे बहुत कुछ मदद जवाव के समझने में मिलेगी ।




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