Friday, December 25, 2020

ब्रह्मांड के नीचे के मैदान और ब्रह्मांड व पिंड की परिक्रमा का बयान

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१०० - ब्रह्मांड में ज्ञानेंद्रियों की तैयारी ।

       ऊपर की दफ़ात में जो कुछ विचार मुख़्तलिफ़ ज्ञानेंद्रियों की बनावट और क्रियाओं की निसबत हुआ है वह सब मनुष्य के स्थूल घाट के पहलू से किया गया है ताकि साधारण तजरुचे में आने वाली बातों के उदाहरण पेश किये जा सकें लेकिन यह सब विचार मुनासिब रद्द व बदल के साथ ब्रह्मांड के वासियों की सूक्ष्म ज्ञानेंद्रियों पर भी घटता है । त्रिकुटी स्थान में ज्ञानेंद्रियाँ इतनी सूक्ष्म और गुप्त हैं कि वहाँ के वासियों के मुनव्वर यानी चमकते हुए शरीरों में उनका पता मुश्किल से चल सकता है । सहसदलवल में ज्ञानेंद्रियाँ ज्यादा प्रकट हैं और उसके नीचे के स्थानों में और भी ज्यादा प्रकट हैं ।

 १०१ - ब्रह्मांड के नीचे के मैदान और ब्रह्मांड व पिंड की परिक्रमा का बयान । 

           विष्णु , ब्रह्मा और शिव के स्थानों के नीचे महासुन्न की तरह का एक भारी मैदान है लेकिन यह मैदान महासुन्न की निसयत लम्बाई चौड़ाई में बहुत कम है । यहाँ पर कुछ नीचे दर्जे की कायनात यानी सृष्टि भी है और रचना के दूसरे और तीसरे दों के बीच में यह हदेफासिल यानी सीमा का काम देता है । इस हदेफासिल के सबसे नीचे हिस्सों में तीसरे दर्जे यानी पिंड की चोटी का स्थान वाकै है जिसमें ब्रह्मांड देश में दाखिल होने के लिये एक रौजन यानी छिद्र है , जिसको तीसरा तिल , तृतीय नेत्र और दिव्य चक्षु कहते हैं । इस छिद्र की मारफत ब्रह्मांड के नीचे हिस्सों का दूर से दर्शन किया जा सकता है और वह बतौर एक सदर दरवाजे के है जिससे हो कर सुरत यानी जीवात्मा पिंड से ब्रह्मांड में दाखिल होती है । पिंड की चोटी का स्थान , जिसका ऊपर जिक्र हुआ , ब्रह्मांड की चोटी के स्थान यानी सुम से मिलता जुलता है । पिंट देश का चंद्र स्थान इसी को कहते हैं और जितने भी स्थान इसके नीचे पाकै हैं उन सब को चेतनता इसी से पहुँचती है । यह स्थान पूर्प लोक से परे पाकै है और ये दोनों प्रह्मांड के सब से नीचे हिस्से के गिर्द गर्दिश पानी परिक्रमा करते हैं । प्रांड भी । कुल का फुल इसी तरीके पर निर्मल चेतन देश के गिर्द चक्कर लगाता है लेकिन निर्मल चेतन देश या उसके किसी भाग के जिम्मे चक्कर लगाने का कजिया नहीं है । आगे चल कर हम दिखलायेंगे कि रचना के ये ही दो दर्जे , जिनके जिम्मे परिक्रमा करना लगा है , समय पाकर नाश को प्राप्त होते हैं । निर्मल चेतन देश में किसी तरह का रद्द व बदल या मृत्यु नहीं है इस लिये वह स्थान अविनाशी है । ब्रह्मांड और पिंड की निसवत जो कुछ ऊपर बयान हुआ वह सिर्फ एक निजाम ( System ) के मुतअल्लिक था जिसमें हमारा सूर्य मंडल ( निज़ामेशम्सी ) वाक़ है । लेकिन कुल ब्रह्मांड देश में इस तरह अनेक निज़ाम वाले हैं क्योंकि जो काल व आद्या की धारें सत्यलोक से निकल कर महासुन्न के मैदान में उतरीं उनकी मारफत असंख्य ब्रह्म और उनकी अर्द्रागिनियाँ और ब्रह्मांड के धनी समुद्र के पानी के कतरों की तरह खारिज हुए और इसी तरीके पर अनेक सूर्य मंडल ( निजामे शम्सी ) , जो पिंड देश में नजराई पड़ते हैं , ब्रह्मांड देश के हर एक निज़ाम से प्रकट हुए ।

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