Sunday, January 10, 2021

११६ - जिंदगी की चार अवस्थाएँ ।

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११६ - जिंदगी की चार अवस्थाएँ


      यह सब किसी को मालूम है कि तमाम जानवरों और खास कर मनुष्य की जिंदगी चार अलहदा अलहदा हिस्सों पर मुनकसिम है पहले हिस्से पानी अवस्था का दौरान जन्म के वक्त से शुरू हो कर जवानो तक रहता है इस दौरान की खास बातें तबीमत की तेजी , विता फिक की कमी और स्त्री पुरुष के भावों से नावाकफिपत हैं अगर मसाधारण विघ्न बाके हो तो इस अवस्था में भामतौर पर निप्पाप मुख चैन का रस भी प्राप्त रहता है और छोटी छोटी बातें भी सुखदायक हुआ करती हैं इस जमाने में सक्ते की हालत में और हिप्नॉटिपम के अमल को नींद में जाने की योग्यता पमुकाविले और अवस्थाओं के दौरान के उपादा रहती है जवानी आने पर जिंदगी को दूसरी अवस्था शुरू हो जाती है और इसका दौर जिंदगी के उतार की शुरूमात तक जारी रहता है यह उतार का दौरान यहार के जमाने को तरह ( जिसमें पहली दो अवस्थाएँ शामिल हैं ) दो हिस्सों पर मुनकसिम है यानी एक तो वह हिस्सा जिसमें जिंदगी के उतार का असर ज्यादा महसूस नहीं होता और जबानी की सब ताकतें खासे तौर पर काम करती रहती हैं और दूसरा बुढ़ापे का जमाना , जिसमें स्थूल शरीर प्रकट तौर पर कह जाता है और जवानो को ताकतें जवाब दे जाती हैं जवानी के दौरान में उमंगे और उम्मीदें जज्यों की तरह निहायत जबरदस्त रहती हैं

         जवानी का जोश किसी किस्म की मुश्किलों और दिक्कतों को खपाल में नहीं लाता और जब कोई उलटी हालत शरीर पर जाती है तो जवानी के दम की बदौलत तबीअत जल्द ही करार पकड़ लेती है और इस तौर से जिंदगी कम पेश सुरूर की हालत में गुजरती है तीसरी अवस्था के दौरान में जवानो का जोश ठंडा पड़ कर समझ बूझ और तजरुबेकारी का अमल शुरू हो जाता है और आजाद - सयाली फरास्खदिली का इजहार होने लगता है यही जमाना है कि जिसमें लोगों को भाम तौर पर अपने कारबार में बढ़ कर कामपाची , दौलत , इज्जत और नामवरी हासिल होती है चौथी यानी जिंदगी की भाखिरी अवस्था में फिर से लड़कपन जाता है लेकिन अगर जिंदगी साफ सुधरेपन और मध्य की चाल से पसर की गई है तो यह चौथी अवस्था भी खास लुत्फ से खाली नहीं होती और लड़कपन के निष्पाप सुखों के अलावा अक्लमंदी और तजरुवेकारी का कोमल आनंद तजरुये में आता  है।

          इसके दौरान में जिस्म की ताकतों का सिमटाव बहुत जबरदस्त रहने से तमाम जिस्म कमजोर हो जाता है जिसकी वजह से छोटी छोटी बातों और गर्मी सर्दी का असर बहुत ज्यादा महसूस होता है और बीमारियों का भी जोर रहता है लेकिन मालूम हो कि परमार्थी हिसाब से यह सिमटाव बहुत ही मुफीद है क्योंकि इससे कुदरती तौर पर सुरत का रुझान तीसरे तिल के सूराख की जानिब हो जाता है ( जिससे गुजरने पर मौत वाकै होती है ) , और इससे इच्छानुसार तिल से पार गुजरने के अभ्यास की कमाई में बहुत मदद मिलती है जिंदगी की चार अवस्थाओं के मुतअल्लिक जो कुछ यहाँ पर बयान हुआ वह इंसान की जिदगी को मिसाल ले कर किया गया है लेकिन दूसरी योनियों का भी यही हाल है अलबत्ता कुदरत की जानिब से वलाओं के नाजिल होने या गैर मामूली वयात की वजह से इसमें किसी कदर कमी बेशी हो सकती है

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